सुपर कार का युग 1950 और 60 के दशक में आया जब फेर्रारी, लेम्बोर्गिनी और मैकलारेन जैसे ब्रांडों ने अपनी प्रदर्शन कारें लॉन्च कीं। इन कारों को न केवल गति और शक्ति बल्कि लक्जरी का भी एक बड़ा प्रतीक माना जाता था। प्रत्येक सुपर कार एक इंजीनियरिंग चमत्कार थी। जिसे केवल बड़े कारखाने और प्रसिद्ध इंजीनियर ही बना सकते थे, लेकिन एक समस्या थी। यह केवल कारों के एक चुनिंदा समूह के लिए थी। हम इंसानों के लिए यह एक सपना था क्योंकि इन्हें बनाना और बनाए रखना दोनों ही बहुत महंगा था। लेकिन हर कहानी में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो नियम तोड़ते हैं। जो न केवल सपने देखते हैं बल्कि उन्हें हकीकत में बदलना भी होता है। कई लोगों ने बिना किसी बड़ी कंपनी की मदद के अपने गैराज या वर्कशॉप में अपनी सुपर कार खुद बनाई। लेकिन बड़े संसाधनों और सीमित बजट के बिना यह सब कैसे संभव था। और क्या यह यात्रा इतनी आसान है?
1. लेम्बोर्गिनी कॉन्टेस्ट
ये जानने के लिए आज हम बात करेंगे उन क्रेजी प्रोजेक्ट्स के बारे में जहां लोगों ने अपनी पसंदीदा सुपर कार को अपने हाथों से बनाया, इसमें भारतीय नाम भी शामिल हैं, तो सबसे पहले बात करते हैं यूएस की। ये केन हिमॉफ के बारे में जिन्हें लेम्बोर्गिनी क्वेंटस बहुत पसंद थी, जिसके लिए केन ने फैसला किया कि वो अपनी सपनों की सुपरकार लेम्बोर्गिनी कॉन्टेस्ट पाने के लिए कुछ अलग तरीका खोजेंगे। अब केन को कॉन्टेस्ट से तभी प्यार हो गया जब उन्होंने केन बॉल रन फिल्म देखी। लेकिन पैसों की कमी के कारण उनके लिए असली लेम्बोर्गिनी अफोर्ड कर पाना काफी मुश्किल था।
जिसके बाद केन ने खुद की सुपरकार बनाने का सोचा। अब सबसे पहले केन ने कार का लकड़ी का फ्रेम बनाया, फिर इंग्लिश विल की मदद से एल्युमिनियम को भी शेप दिया यहां तक कि उन्होंने कस्टम मेड व्हील्स भी बनाए जिसके बाद केन ने 25 घंटे सिर्फ पॉलिशिंग और फिनिशिंग पर बिताए ताकि कार असली लैम्बो जैसी दिखे. लेकिन सबसे बड़ी चुनौती अभी बाकी थी, वो थी कार को बेसमेंट से कैसे निकाला जाए. जिसके बाद केन किसी तरह बेसमेंट की दीवार तोड़कर कार को बाहर निकालने में कामयाब हुए और आखिरकार 17 साल की दिन-रात की मेहनत के बाद केन ने ये प्रोजेक्ट पूरा किया और उन्हें अपनी ड्रीम कार मिल गई और उसमें फोर्ड v8 का इंजन लगा था और केन ने इस प्रोजेक्ट पर 65,000 डॉलर खर्च किए थे. इसे चलाने के बाद केन ने इसे 90,000 डॉलर में बेच दिया.
2. बुकाटी चिरोन
अगली सुपरकार बुकाटी चिरोन है जो दुनिया की सबसे महंगी सुपर कार्ट्स में से एक है. लेकिन क्या किसी कार के कबाड़ से बुकाटी बनाई जा सकती है? हाँ, ये पॉसिबल है क्योंकि इस क्रेटर स्टीव सॉन्ग ने ऐसा वाकई में करके दिखा दिया। जब स्टीवेन ने स्क्रैप मटेरियल से बुकाटी की रेपलिका बनाने का फैसला किया तो उसे एक ऐसी बेस कार चाहिए थी जो साइज और शेप में बुकाटी की एकदम करीब हो। जिसके बाद स्टीवेनने जंक यार्ड में एक ऐसी कार को काफी खोजा और काफी खोजने के बाद उन्होंने पोंटिया जी सिक्स को चुना जो डाइमेंशन के मामले में एकदम परफेक्ट फिट कार थी। अब पोंटिया को तोड़ फोड़ करके स्क्रैप मटेरियल से एक नया बॉडी फ्रेम बनाया गया और यूज़्ड स्टील, मैश स्प्रे फॉर्म और फाइबरग्लास से स्क्रब करके रिफाइंड भी किया गया।और शेप के लिए की टोय कार को थ्री डी स्कैन किया।
लेकिन तब टाइसन जो मेन स्कल्पटर था वो प्रोजेक्ट छोड़कर चला जाता है तो प्रोग्रेस ना चाहते हुए भी वहीं रुख जाती है। पर करीब दो महीने बाद एक नए स्कल्पटर की मदद से कार में फाइनल टॅच यु पीएस दिए जाते हैं और फाइनलाइज़ सिग्नेचर ब्लू ब्लैक पैंट, लेदर इंटीरियर्स और इलेक्ट्रॉनिक फीचर्स के साथ स्टीवन की।शिरून तैयार हो गई वो भी कमाल की। बात तो ये है की सिर्फ और सिर्फ कबाड़ के पार्ट से बाकी नई बुकाड़ी शिरून लेना चाहोगे आप वैसे आपको मिलेंगे तो नहीं, बाकी कीमत करीब अट्ठाइस करोड़ रुपए चुकानी होगी।
3. लाइकन हाइपर स्पोर्ट
तन्ना धवल ये एक इंडियन यू ट्यूबर है जिसने होंडा सिविक के मेटल फ्रेम को लाइकन के डिज़ैन के हिसाब से मॉडिफाई किया।और फिर मेटल शीट से एक्सटीरियर पैनल्स बनाकर उन्हें रेट पे एंड भी करवाया। डायमंड्स वाली कस्टम हेडलाइट के साथ कार के फ्रंट और रेयर को असली लाइकन जैसा बना डाला।
वैसे आप ये भी जान लो की असली वाली जो फ्रेम आती हैं लाइकन में वो 4,00,00,000 के डायमंड से लगी हुई होती हैं। इसके रिवर्स डोर्स इसका सबसे खास फीचर हैं। और सबसे शॉकिंग बात तो ये हैं की इस सुपर कार कोबनाने में तन्ना का 25,00,000 से भी ज्यादा का खर्चा आया था और ये सच में लाइकन की 100% रेप्लिका है।
4. एस्टन मार्टिन वि ऐट विंटेज
हम बात करते हैं ऐसे सुपर कार की जिसे चाइना के एक बॉडी किट से बनाया गया एस्टन मार्टिन वि ऐट विंटेज, जो एक जमाने में है। परफॉरमेंस स्पोर्ट्स कार थी पर बड़े दुख की बात है कि लगभग पिछले 15 साल से एक वर्कशॉप में धूल खा रही थी, लेकिन इस बंदे कैप्टन क्राइमने डिसैड किया की वो इसे एक धमाकेदार सुपरकार में बदल के ही रहेंगे। बिना ज्यादा सोचे समझे उसने चीन से एक बॉडी किट को ऑर्डर कर दिया और छे महीने बाद फाइनली बॉडी किट भी आ गया। लेकिन जब इन्स्टॉल करने लगे तो किट फिट ही नहीं हो रहा था। ना तो पैनल्स हो रहे थे, ना ही बमपर का साइज में छुपा रहा था। लेकिन फिर धीरे धीरे काम शुरू हुआ।
वेंडर्स काटे गए और बमपर रेप्लस किया गया और फिर हर एक चीज़ का ध्यान रखा गया। क्योंकि अगर फिटिंग में ये गलती होती तो पूरी कार डॅमेज हो सकती थी और सारी मेहनत बर्बाद और इसीलिए फिर हर एक पार्ट को ध्यान से फिट किया गया और फिर आया फाइनल रैप का टाइम, क्योंकि ग्रीन कलर का रैप लगता था।आते ही एस्टन मार्टिन का नया रेंज इंस्पायर्ड लुक सामने आया, जिसे देखकर यकीन नहीं होता कि इस कार को अपने हाथों से बनाया गया है और कुछ इसी तरह कैप्टन ने एक चाइनीज कार किट से सुपर कार बना डाली जिसे बनाना कोई हँसी खेल की बात नहीं थी।
5. टेस्ला रोस्टर
यह स्टोरी एक ऐसे बंदे की है जिसे कार बनाने तक नहीं आता था, लेकिन उसने अपनी खुद की टेस्ला रोस्टर से इंस्पायर्ड इलेक्ट्रिक सुपर कारकार बना डाली। ये जर्नी है डेविड एंट्री की जिन्होंने के वॅन अटैक किट ऑर्डर किया लेकिन ये किट बिना किसी इन्स्ट्रक्शन के आई। मतलब अब डेविड को वायरिंग से लेकर वेल्डिंग तक, हर एक चीज़ खुद को सीखनी थी।
सबसे पहले टेस्ला मॉडल एक्स के रेयर ड्राइव यूनिट को इंटरग्रेट करना था, जो एक बड़ा चैलेंज था। फिर बैटरी बॉक्स और स्टेट माउंट्स कस्टम फैब्रिकेट किये बॉडी का फिट सही करने के लिए काफी मॉडिफिकेशन भी करने पड़े और फाइनली 3 साल बाद टेस्ला रोस्टर इंस्पायर्ड इलेक्ट्रिक सुपरकार रेस के लिए रेडी थी। इसका मुकाबला कुछ रियल टेस्ला से भी हुआ और अब ये म्यूज़ियम में।होने जा रही है और टेस्ला रोस्टेड की कीमतें डेढ़ से ₹2,00,00,000.